Sunday, November 2, 2008

मुक्तक 7

ढूँढ़ना कोई अगर चाहे दिशाएँ कम नहीं
खिड़कियों को खोलकर रक्खो, हवाएँ कम नहीं
एक ज्ञानी, क्या पते की बात मुझसे कह गया
भावना गर मन में हों, सँभावनाएँ कम नहीं

ओस आँसू की तरह कब तक गिरेगी देखना
फूल बनकर हर कली हँसने लगेगी देखना
सब के दिल में तो छुपी बैठी नहीं है कालिमा
रोशनी पत्थर के दिल में भी मिलेगी देखना

बंजरों में जल मिलेगा, प्यास तो बाकी रहे
दिल के अंदर दर्द का एहसास तो बाकी रहे
किसलिए बे-आस होकर राह तकना छोड़ दूँ
कोई आए या न आए, आस तो बाकी रहे

नफ़रत को नहीं, प्यार को ताक़त समझो
दुख पाओ जो रस्ते मंे तो राहत समझो
इक बार के गिरने से हताशा क्यों हो
ठोकर को सफलता की ज़मानत समझो

जिनको पानी है सफलता, जिनको करना है सफर
ठोकरें खाते हैं पर हटते नहीं हैं राह से
अंकुरित होता है पौधा दोस्त धरती चीरकर
कितना कोमल है, मगर भरपूर है उत्साह से

12 comments:

राहुल सि‍द्धार्थ said...

सच है जीवन में जिसके उत्साह है मुश्किल नहीं उसके लिए कोइ राह है

MANVINDER BHIMBER said...

जिनको पानी है सफलता, जिनको करना है सफर
ठोकरें खाते हैं पर हटते नहीं हैं राह से
अंकुरित होता है पौधा दोस्त धरती चीरकर
कितना कोमल है, मगर भरपूर है उत्साह से
सच है

युग-विमर्श said...

सभी मुक्तक अच्छे हैं और सार्थक भी.

Udan Tashtari said...

बहुत जबरदस्त!!! वाह वाह!!! बहुत खूब!

बाल भवन जबलपुर said...

सुस्वागतम
व्हेरिफिकेशन हटाएँ

रचना गौड़ ’भारती’ said...

अंकुरित होता है पौधा दोस्त धरती चीरकर
कितना कोमल है, मगर भरपूर है उत्साह से

बेहतरीन कविता । ताकत का अहसास सुंदरता से कराया है ।

मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

balle balle narayan narayan

अभिषेक मिश्र said...

जिनको पानी है सफलता, जिनको करना है सफर
ठोकरें खाते हैं पर हटते नहीं हैं राह से
अंकुरित होता है पौधा दोस्त धरती चीरकर
कितना कोमल है, मगर भरपूर है उत्साह से
Prerak panktiyan. shubhkaamnayein.
Apne sujhaon ke sath mere blog par bhi swagat.

Amit K Sagar said...

ब्लोगिंग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लिखते रहिये. दूसरों को राह दिखाते रहिये. आगे बढ़ते रहिये, अपने साथ-साथ औरों को भी आगे बढाते रहिये. शुभकामनाएं.
--
साथ ही आप मेरे ब्लोग्स पर सादर आमंत्रित हैं. धन्यवाद.

दिगम्बर नासवा said...

ओस आँसू की तरह कब तक गिरेगी देखना
फूल बनकर हर कली हँसने लगेगी देखना
सब के दिल में तो छुपी बैठी नहीं है कालिमा
रोशनी पत्थर के दिल में भी मिलेगी देखना


बहुत सुंदर बोल, प्रेरणा दायक शब्द

आनंद आ गया

Prakash Badal said...

आपको प्रणाम आपके लेखन से प्रेरणा मिलती है।

सुनीता शर्मा 'नन्ही' said...

आदरणीय सर ,आपकी प्रेरणा से भरपूर कलम को सादर प्रणाम !