Thursday, November 13, 2008

मुक्तक 16

विश्व के निर्माण को निर्माणकारी चाहिए
कौन मूरख सीख यह देता है, दुनिया कुछ नहीं
शिल्पियों ने छू दिया तो देवता बन जाएगा
तेरे-मेरे हाथ में पत्थर का टुकड़ा कुछ नहीं

यों तो ऐ दुनिया सभी कुछ है तेरे बाज़ार में
दुख भी है, आराम भी है, मान भी अपमान भी
देखना यह है कि किसने किस तरह से तय किया
ज़िंदगी का रास्ता मुश्किल भी है आसान भी

डा गिरिराजशरण अग्रवाल

3 comments:

Udan Tashtari said...

वाह! बहुत सुन्दर.

Prakash Badal said...

वाह डॉ0 साहब वाह अच्छा ख्याल है।
prakashbadal.blogspot.com

डा.मीना अग्रवाल said...

शिल्पियों ने छू दिया तो देवता बन जाएगा
तेरे-मेरे हाथ में पत्थर का टुकड़ा कुछ नहीं
यदि हम शिल्पी हैं तो हम किसी को भी देवता बना सकते हैं.इस विचार के लिए बधाई,\.
डा.मीना अग्रवाल