विश्व के निर्माण को निर्माणकारी चाहिए
कौन मूरख सीख यह देता है, दुनिया कुछ नहीं
शिल्पियों ने छू दिया तो देवता बन जाएगा
तेरे-मेरे हाथ में पत्थर का टुकड़ा कुछ नहीं
यों तो ऐ दुनिया सभी कुछ है तेरे बाज़ार में
दुख भी है, आराम भी है, मान भी अपमान भी
देखना यह है कि किसने किस तरह से तय किया
ज़िंदगी का रास्ता मुश्किल भी है आसान भी
डा गिरिराजशरण अग्रवाल
Thursday, November 13, 2008
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3 comments:
वाह! बहुत सुन्दर.
वाह डॉ0 साहब वाह अच्छा ख्याल है।
prakashbadal.blogspot.com
शिल्पियों ने छू दिया तो देवता बन जाएगा
तेरे-मेरे हाथ में पत्थर का टुकड़ा कुछ नहीं
यदि हम शिल्पी हैं तो हम किसी को भी देवता बना सकते हैं.इस विचार के लिए बधाई,\.
डा.मीना अग्रवाल
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