अगर चिराग़ जलाने का होश बाकी है
अमावसों के अँधेरे से कुछ नहीं होता
अमल नहीं है तो कुछ भी नहीं है दुनिया में
विचार और इरादे से कुछ नहीं होता
माने कोई जो सच तो उसे आइना दिखा
भटका हो गर पथिक तो उसे रास्ता दिखा
बिखरे हुए हैं चारों दिशा में हज़ार भ्रम
आँखों को देखना नहीं, पहचानना सिखा
डा गिरिराजशरण अग्रवाल
Tuesday, November 11, 2008
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4 comments:
माने कोई जो सच तो उसे आइना दिखा
भटका हो गर पथिक तो उसे रास्ता दिखा
बिखरे हुए हैं चारों दिशा में हज़ार भ्रम
आँखों को देखना नहीं, पहचानना सिखा
bahut sahi,sundar
सुन्दर!
bahut hi sundar panktiyan hain.
माने कोई जो सच तो उसे आइना दिखा
भटका हो गर पथिक तो उसे रास्ता दिखा
" bhut sunder"
Regards
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